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गुरुवार, 15 सितंबर 2011

My Self....

कुछ घुड़सवारी हो जाए क्यों भाई चेतक 
चल मेरे घोड़े टिक-टिक-टिक 
इन्तेहाँ हो गई इंतजार की 
सोच रहा हूँ कौन सा वाला गजरा लूँ 
चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है 
मुझे पेड़-पौधों से बहुत प्यार है 
शाम हो गई चलो अब कहीं घूम ही आते हैं  

छाया चित्र - राज लाठिया 
दर्री "कोरबा"